जिंदगी की रेस में खुद को भुलती चली गई
दूसरों से बेहतर दिखने की कोशिश में
खुद को मिटती चली गई
जिंदगी की रेस में खुद को भुलती चली गई
लोग क्या कहेंगे ये सोच कर
खुद के अरमानों को जलाती गई
दुनियां के सामने हंसी ना बन जाऊँ
खुद की पहचान छुपाती चली गई
जिंदगी के रेस में खुद को भुलती चली गई।
पहाड़ से भी मजबूत दिखने की कोशिश में
दिल के हजार टुकड़े करती गई
दिल की ना सुन दिमाग को
दुनियां के इशारा पर चलती चली गई
जिंदगी के रेस में खुद को भुलती चली गई।
कैसी ये जिंदगी?
मुर्दों की तरह जिये जा रहे हैं
पैसों के नशे में अपनों को छोड़े जा रहे हैं
खोखली इस दुनियां में प्यार टाइम पास हो गया
ब्रेकअप फैशन का नया ट्रेंड हो गया
जिंदगी के रेस में खुद को भुलती चली गई।
चेहरों पर अपनेपन का नाकप ओढ़े
दिल में दुश्मनी के दिये जलाते गए
जिन्हें हम अपना समझते थे
वही हमारी कब्र खोदते गए
जिंदगी के रेस में खुद को भुलती चली गई।
जिंदगी के रेस में खुद को भुलती चली गई।